कोणीय वेग - 


  • वृत्ताकार मार्ग पर गतिशील कण को वृत्त के केन्द्र से मिलाने वाली रेखा एक सेकण्ड में जितना कोण घूम जाती है, उसे उस कण का कोणीय वेग कहते हैं। इसे प्रायः ω (ओमेगा) से प्रकट किया जाता है। अर्थात्
  • (कोणीय वेग ω= θ/t)
  • यदि कण 1 सेकेण्ड में n चक्कर लगाता है तो, (ω=2πn)
  • (क्योंकि 1 चक्कर में कण 2π (360°) रेडियन घूम जाता है।)


कोणीय वेग तथा रेखीय चाल में संबंध-


  • अब यदि वृत्ताकार मार्ग की त्रिज्या r है और कण 1 सेकेण्ड में n चक्कर लगाता है, तो उसके द्वारा एक सेकेण्ड में चली गयी दूरी = वृत्त की परिधि x n 
          अर्थात्
  • रेखीय चाल(v)= 2πnr
  • रेखीय चाल(v)=ω.r
        (रेखीय चाल = कोणीय चाल x त्रिज्या)



कोणीय-वेग-तथा-बल-आघूर्ण-(Angular-velocity-and-torque)



बल-आघूर्ण (Moment of Force):- 


  • बल द्वारा एक पिण्ड को एक अक्ष के परितः घमाने की प्रवृत्ति को बल-आघूर्ण कहते हैं। किसी अक्ष के परितः एक बल का बल-आघूर्ण उस बल के परिमाण तथा अक्ष से बल की क्रिया-रेखा के बीच की लम्बवत् दूरी के गुणनफल के बराबर होता है। अर्थात्
  • [बल-आघूर्ण (T) = बल x आघूर्ण भुजा]
  • यह एक सदिश राशि है। 
  • इसका मात्रक न्यूटन मी० होता है।