सरल मशीन:-

  • सरल  मशीन बलआघूर्ण  के सिद्धांत  पर कार्य करती है तथा इन्‍हे चलाने के लिये केवल एक ही बल का  प्रयोग किया जाता है । सरल मशीन मे  किसी  सुविधाजनक  बिन्‍दु  पर थोडा सा बल लगाकर  किसी  कार्य को सरल तरीके  से किया जा सकता है  ।
  • जैसे:- सरौते  की सहायता  से हम कठोर सुपारी  को भी आसानी से काट सकते है।
  • इसी प्रकार कुए मे पानी  निकालने के लिये घिरनी का प्रयोग करने पर आसानी  से कम बल लगाकर हम कार्य को कर सकते है।

उत्तोलक-एवं-सरल-मशीन


सरल मशीन के प्रकार निम्‍नलिखित है-

  • 1. उत्‍तोलक /लीवर
  • 2. चक्र या धुरी /व्‍हील और एक्‍सल
  • 3. स्‍क्रू जैक
  • 4. पुली / घिरनिया
  • 5. आनत या नत तल आदि।


उत्‍तोलक/लीवर:-

  • यह एक सरल मशीन है।
  • उत्तोलक एक सीधी अथवा मुड़ी हुई दृढ़ छड़ होती है, जो किसी स्थिर बिन्दु के परितः स्वतन्त्रतापूर्वक घूम सकती है|
  • इसकी सहायता से किसी भारी बोझ को कम बल लगाकर ही उठाया जा सकता है|
  • इसमें तीन मुख्य बिन्दु होते हैं-
(i)   आलम्ब (Fulcrum) :- 
  • जिस बिन्दु के चारो ओर उत्तोलक स्वतन्त्रतापूर्वक घूम सकता है, वह बिन्दु आलम्ब कहलाता है | इसे ‘F’ से प्रदर्शित करते हैं |
(ii) आयास (Effort) :- 
  • उत्तोलक द्वारा भारी बोझ को उठाने के लिए आरोपित बल आयास कहलाता है | इसे ‘P’ से प्रदर्शित करते हैं | 
  • (आलम्ब से आयास की क्रिया रेखा की लम्बवत दूरी को आयास भुजा (Effort arm) कहते हैं )
(iii) भार (Load) :- 
  • उत्तोलक द्वारा जो भारी बोझ उठाया जाता है, भार (Load) कहलाता है | इसे ‘W’ से व्यक्त करते हैं |


उत्तोलक के तीन प्रकार होते है–


1. प्रथम श्रेणी का उत्तोलक :-

  • इस वर्ग के उत्तोलक में आलम्ब (F), आयास (P) तथा भार (W) के बीच में स्थित होता है। इस प्रकार के उत्तोलकों में यांत्रिक लाभ 1 से अधिक, 1 के बराबर तथा 1 से कम भी हो सकता है।
  • प्रथम श्रेणी के उत्तोलक के उदाहरण :- कैंची, पिलाश, कील उखाड़ने की मशीन, साईकिल का ब्रेक, शीश झूला l

2. द्वितीय श्रेणी का उत्तोलक :- 

  • इस वर्ग के उत्तोलक में भार (W), आलम्ब (F) तथा आयास (P) के बीच में  स्थित होता है। इस प्रकार के उत्तोलकों में यांत्रिक लाभ सदैव एक से अधिक होता है।
  • द्वितीय श्रेणी के उत्तोलक के उदाहरण:- सुपारी काटने का सरौता, नींबू निचोड़ने की मशीन, कूड़ा ढोने की एक पहिए की गाड़ी।

3. तृतीय श्रेणी का उत्तोलक :- 

  • इस वर्ग के उत्तोलक में आयास (P), आलम्ब (F), भार (W) के बीच में  स्थित होता है। इस प्रकार के उत्तोलकों में यांत्रिक लाभ सदैव एक से कम होता है।
  • तृतीय श्रेणी के उत्तोलक के उदाहरण :- चिमटा, किसान का हल, मनुष्य का हाथ,चाकू