उत्प्लावन बल तथा उत्प्लावन केंद्र-

  • जब किसी तरल(द्रव अथवा गैस) में वस्तु को आंशिक या पूर्ण रूप से डूबाया जाता है तो वस्तु पर एक बल ऊपर की ओर कार्य करता है, इसी बल को उत्प्लावन बल या उत्क्षेप बल कहते हैं।
  • यह बल वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के गुरुत्व केंद्र पर कार्य करता है, जिसे उत्प्लावन केंद्र कहते हैं।
  • इसके बारे में सर्वप्रथम आर्कमिडीज ने बताया।
  • उत्प्लावन बल द्रव में डूबे पिंड के आयतन तथा द्रव के घनत्व पर निर्भर करता है।
उत्प्लावन-बल
  • जब पिंड द्रव में पूर्णता डूब जाता है तो उत्प्लावन बल का मान अधिकतम हो जाता है।
  • उत्प्लावन बल का मान वस्तु की प्रकृति और भार पर निर्भर नहीं करता है अर्थात् कोई वस्तु जितना अधिक तरल को हटाती है उस वस्तु पर लगने वाले उत्प्लावन बल का मान उतना ही अधिक होता है। यही कारण है कि एक छोटे गुब्बारे को आप अपने हाथो से बल लगाकर डूबा सकते है लेकिन बड़े गुब्बारे पर बैठकर आप कितनी भी दूर तैर सकते हो लेकिन यह डूबता नहीं है और आपका वजन आसानी से वहन कर लेता है और आपको डूबने नहीं देता है।

उत्प्लावन बल का उदाहरण:-

  • 1. जब किसी गहरे जल में आपका कोई सामान गिर जाता है और आप उसे लेने के लिए नीचे की तरफ जाते है तो आप अनुभव करते है कि आपको ऊपर की तरफ धकेला जाता है अर्थात आपको द्रव की सतह पर लाने के लिए आपके ऊपर द्रव द्वारा एक बल कार्य करता है इसी बल को उत्प्लावन बल कहते है।
  • 2. जब आप किसी गुब्बारे को पानी में डुबाने का प्रयास करते है तो आप देखते है कि आपको इसे पानी में डुबोने के लिए बहुत अधिक बल लगाना पड़ता है, आप अनुभव करते है की द्रव एक बल लगाता है जो इसे ऊपर की तरफ धकेलता है , इसी बल को उत्प्लावन बल कहते है।

उत्प्लावन बल का सूत्र:-

  • उत्प्लावन बल वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के आयतन(V), द्रव के घनत्व(d) तथा गुरुत्वीय त्वरण(g) पर निर्भर करता है।
उत्प्लावन बल(F)=V.d.g

प्लवन (Flotation) का नियम:-

  • (i) संतुलित अवस्था में तैरने पर वस्तु अपने भार के बराबर द्रव विस्थापित करती हैं।
  • (ii) ठोस का गुरुत्व-केंद्र तथा हटाए गए द्रव का गुरुत्व-केंद्र दोनों एक ही उर्ध्वाधर रेखा में होने चाहिए।

मित केंद्र (meta center):- 

  • तैरती हुई वस्तु द्वारा विस्थापित द्रव के गुरुत्व-केंद्र को उत्प्लावन-केंद्र कहते हैं. उत्प्लावन-केंद्र से जाने वाली उर्ध्व रेखा जिस बिंदु पर वस्तु के गुरुत्व-केंद्र से जाने वाली प्रारंभिक उर्ध्व रेखा को काटती हैं उसे मित केंद्र(meta center) कहते हैं।

तैरने वाली वस्तु के स्थाई संतुलन के लिए शर्तें:-

  • (i) मित केंद्र गुरुत्व केंद्र के ऊपर होना चाहिए।
  • (ii) वस्तु का गुरुत्व केंद्र तथा हटाए गए द्रव का गुरुत्व केंद्र अर्थात उत्प्लावन केंद्र दोनों एक ही उर्ध्वाधर रेखा में होने चाहिए।


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By CEO & Counsellor :-  PANKAJ JANGID (Author, Science expert and mathematician)

Posted by co-founder & managing director:- Rahul Vishvkarma