सरल लोलक (Simple Pendulum):-
यदि एक भारहीन तथा लम्बाई में न बढ़ाने वाली डोरी के निचले सिर से पदार्थ के किसी गोल परन्तु भारी कण को लटकाकर डोरी को किसी दृढ आधार से लटका दें तो इस समायोजन को 'सरल लोलक' कहते है।यदि लोलक को साम्य स्थिति से थोड़ा विस्थापित करके छोड़ दें तो इसकी गति सरल आवर्त गति होती है।
यदि डोरी की प्रभावी लम्बाई (l) एवं गुरुत्वीय त्वरण (g) हो, तो सरल लोलक का आवर्तकाल-
T= 2π (l / g)½
इससे निम्न निष्कर्ष निकलते हैं-
1. T α √l, अर्थात् लम्बाई बढ़ने पर T बढ़ जायेगा।
यही कारण है कि यदि कोई लड़की झूला झूलते-झूलते खड़ी हो जाए तो उसका गुरुत्व केन्द्र ऊपर उठ जायेगा और प्रभावी लम्बाई घट जायेगी जिससे झूले का आवर्तकाल घट जायेगा अर्थात् झूला जल्दी जल्दी दोलन करेगा।
2.आवर्तकाल लोलक के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है, अतः झूलने वाली लड़की की बगल में कोई दूसरी लड़की आकर बैठ जाए तो आवर्तकाल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
3. T α (l/g)½, यानी किसी लोलक घड़ी को पृथ्वी तल से ऊपर या नीचे ले जाया जाए तो घड़ी का आवर्तकाल (T) बढ़ जाता है, अर्थात् घड़ी सुस्त हो जाती है, क्योंकि पृथ्वी तल से ऊपर या नीचे जाने पर g का मान कम होता है।
4.यदि लोलक घड़ी को उपग्रह पर ले जाएँ तो वहाँ भारहीनता के कारण g= 0, अतः घड़ी का आवर्तकाल (T) अनन्त हो जायेगा; अतः उपग्रह में लोलक घड़ी काम नहीं करेगा।
गर्मियों में लोलक की लम्बाई (l) बढ़ जायेगी तो उसका आवर्तकाल T भी बढ़ जायेगा,अतः घड़ी सुस्त हो जायेगी।
सर्दियों में (l) कम हो जाने पर उसका आवर्तकाल T भी कम जायेगा,अतः लोलक घड़ी तेज चलने लगेगी।
चन्द्रमा पर लोलक घड़ी को ले जाने पर उसका आवर्तकाल बढ़ जायेगा, क्योंकि चंद्रमा पर g का मान पृथ्वी के g के मान का 1/6 गुना है।
By CEO & Counsellor :- PANKAJ JANGID (Author, Science expert and mathematician)
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