आवर्त गति (Periodic Motion):-
एक निश्चित पथ पर गति करती वस्तु जब एक निश्चित समय-अन्तराल के पश्चात् बार बार अपनी पूर्व गति को दोहराती है, तो इस प्रकार की गति को आवर्त गति कहते हैं।
दोलन गति (Oscillatory Motion):-
एक दोलन या एक कम्पन:-
दोलन करने वाले कण का अपनी साम्य स्थिति के एक ओर जाना फिर साम्य स्थिति में आकर दूसरी ओर जाना और पुनः साम्य स्थिति में वापस लौटना, एक दोलन या कम्पन कहलाता है।आवर्तकाल (Time Period):-
एक दोलन पूरा करने के समय को आवर्तकाल कहते हैं।आवृति (Frequency):-
कम्पन करने वाली वस्तु एक सेकेण्ड में जितना कम्पन करती है, उसे उसकी आवृति कहते हैं।इसका S.I. मात्रक हर्ट्ज (Hertz) होता है।
यदि आवृति n तथा आवर्तकाल T हो, तो-
n = 1/T
सरल आवर्त गति (Simple Harmonic Motion):-
यदि कोई वस्तु एक सरल रेखा पर मध्यमान स्थिति (Mean Position) के इधर-उधर इस प्रकार की गति करे कि वस्तु का त्वरण मध्यमान स्थिति से वस्तु के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती हो तथा त्वरण की दिशा मध्यम स्थिति की ओर हो, तो उसकी गति सरल आवर्त गति कहलाती है।
सरल आवर्त गति की विशेषताएँ:-
सरल आवर्त गति करने वाला कण जब अपनी मध्य स्थिति से गुजरता है तो-- (i) उस पर कोई बल कार्य नहीं करता है।
- (ii) उसका त्वरण शून्य होता है।
- (iii) वेग अधिकतम होता है।
- (iv)गतिज ऊर्जा अधिकतम होती है।
- (v) स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है।
सरल आवर्त गति करने वाला कण जब अपनी गति के अन्त बिन्दुओं से गुजरता है, तो-
- (i) उसका त्वरण अधिकतम होता है।
- (ii) उस पर कार्य करने वाला प्रत्यानयन बल अधिकतम होता है।
- (iii) गतिज ऊर्जा शून्य होती है।
- (iv) स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है।
- (v) वेग शून्य होता है।
By CEO & Counsellor :- PANKAJ JANGID (Author, Science expert and mathematician)
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