Bright Future वेबसाइट पर BIOLOGY SERIES की आज की हमारी पोस्ट जाने शरीर में यकृत | पित्ताशय | एंजाइम का खेल (Know the liver in the body | Gall bladder | Enzyme games)  है। पोस्ट को पढ़कर कमेंट में अपनी राय जरूर दें। तो आइए शुरू करते हैं आज का टॉपिक --

जाने शरीर में यकृत | पित्ताशय | एंजाइम का खेल (Know the liver in the body | Gall bladder | Enzyme games)-


-: यकृत (Liver) :-

यकृत या जिगर शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है। इसका वजन लगभग 1.5-2kg होता है। 
यह उदर गुहा में दायीं ओर सबसे ऊपर के भाग में डायफ्राम के नीचे स्थित होती है।
इसका अधिकांश भाग पसलियों द्वारा सुरक्षित रहता है।  
यकृत के दो मुख्य खण्ड अथवा लोब होते हैं जो दायां और बायां खण्ड कहलाते हैं।
यकृत का शरीर के मेटाबोलिज्म या उपापचय में बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।
इसकी क्रिया विशेषतः रक्त तथा अवशोषित भोजन पर होती है। 
यकृत शरीर की सबसे विशाल रसायन फैक्टरी है। शरीर का अधिकांश माध्यमिक मेटाबोलिज्म इसी में होता है।
आतों से अवशोषित तथा अन्य अंगों में एकत्रित किए गए भोजन को यकृत, अन्य ऊतकों के प्रयोग के लिए उचित रूप प्रदान करता है।
व्यर्थ उत्पादों तथा विषैले पदार्थों को भी यकृत रूपान्तरित करके पित्त अथवा मूत्र में उत्सर्जन योग्य बना देता है।
यकृत प्रोटीन के उपापचय में सक्रिय रूप से भाग लेता है एवं प्रोटीन की अधिकतम मात्रा को कार्बोहाइड्रेड में परिवर्तित कर देता है।
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यकृत में फाइब्रिनोजन नामक प्रोटीन का उत्पादन होता है जो रक्त के थक्का बनाने में मदद करता है। शरीर के अन्दर रक्त को जमने से रोकने वाली प्रोटीन हिपैरीन का उत्पादन यकृत के द्वारा होता है।
जहर खाये व्यक्ति की मृत्यु की जाँच यकृत के द्वारा ही की जाती है।
यह अतिरिक्त शर्करा को वसा में परिवर्तित कर देता है तथा महत्त्वपूर्ण वसाओं का संचय करता है।
यकृत एक रस (पित्त) का स्राव करता है जो पित्ताशय में आता है।
पित्ताशय यह यकृत के नीचे नासपाती जैसी छोटी सी थैली है जिसके तीन भाग हैं-फण्डस, पिण्ड और ग्रीवा।
पित्त पीले तथा हरे रंग का एक धारीय द्रव है जिसमें जल ((85%), पित्ताम्ल, पित्तवर्णक तथा अन्य कार्बनिक पदार्थ होते हैं।
बिलीरुबिन पित्त वर्णक का कार्य करता है जिसके कारण पित्त का रंग पीला होता है।
पित्त रस आंत में वसा को विखण्डित करने वाले एन्जाइमों की क्रिया को तीव्र करता है।
यह वसा को इमल्शिफाइड करने का कार्य करता है।
पित्त भोजन के साथ आए हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता।
पित्त वाहिनी में अवरोध होने पर यकृत कोशिकाएँ रुधिर से बिलिरुबिन लेना बंद कर देती हैं जिसके कारण बिलिरुबिन सम्पूर्ण शरीर में फैल जाता है जिसके कारण पीलिया रोग होता है।

-: एंजाइम :-

एंजाइम जीवधारियों में पाये जाने वाले जैव-उत्प्रेरक कहलाते हैं क्योंकि इनकी उपस्थिति मात्र से रासायनिक क्रियाएँ सरल हो जाती है एवं आवश्यक गति प्राप्त कर लेती हैं।
पाचन क्रिया केवल एंजाइम की उपस्थिति में ही संभव होती है। 
इनके अतिरिक्त बैक्टीरिया एवं कुछ सूक्ष्मजीव भी पाचन क्रिया में सहायक होते हैं। 
लार में दो एन्जाइम- टाइलिन एवं लाइसोजाइम पाये जाते हैं। 
लाइसोजाइम एन्जाइम भोजन में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कर देता है।
टायलिन भोजन में उपस्थित मंड (Starch) को माल्टोज शर्करा में उपघटित करता है।

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Posted by co-founder & managing director:- Rahul Vishvkarma